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पूस की रात: मुंशी प्रेमचन्द की रचना
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पूस की रात: मुंशी प्रेमचन्द की रचना
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Nov 16, 2011
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हल्कू ने आकर स्त्री से कहा-सहना आया है । लाओं, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे।
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हल्कू ने आकर स्त्री से कहा-सहना आया है । लाओं, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे।