वर्ण, वेद व आधुनिक समाज -मोहित भारद्वाज द्वारा एक व्याख्यान
क्या हम स्वतंत्र हैं या पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित विश्व में जकड़ें हुए हैं ? क्या हमनें पूर्वजों की शिक्षा, भाषा और नैतिक मूल्यों को भुला दिया हैं? हम अपनी जड़ों से भटक गए हैं । हमें वापस लौटना हैं और ‘वैदिक भारत’ को पुनर्जीवित करना हैं।
इस व्याख्यान में आपको अंतर्जातीय सम्बन्ध, समय के साथ विभिंन जातियों का पदानुक्रम में परिवर्तन और वर्णों के आधिकारों का विश्लेषण हैं ।
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