तेरी गोद ही संपूर्ण सृष्टि हो
माँ आज तू नहीं है यहाँ
जैसे तेरी राख गंगा की हर लहर में
समायी थी.
मैं जानता हूँ माँ ठीक वैसे ही
सृष्टि की हर लहर में तेरी गूँज है.
यह तारों की चमक,
यह पत्तों का हिलना,
पानी का बहना … अविरल.
सब में तेरा ही गान है.
माँ मैं तेरा था, पर अब
मैं तू और तू मैं हैं.
तुझमें इश्वर का विस्तार है
और समुद्र की गहराई.
सोचूं तो नहीं जान सकूँगा,
पर तू थाम ले हाथ तो
मैं तेरी लहरों में बह निकलूंगा
वहां जहाँ कोई मेरा न हो
न मैं किसीका.
जहाँ मैं सब और सब मैं हूँ
तेरी गोद ही संपूर्ण सृष्टि हो.