Ancient Indian Gurukul Education System
The Indian Gurukul system has been the backbone of the Indian education for a long time. This talk under the aegis of SrijanTalks discusses that in detail by Mehulbhai Acharya.
भारतीय परंपरा में मनुष्य जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों में से शिक्षा को सबसे उच्च का स्थान दिया गया है| पुरातन काल से भारतवर्ष समस्त विश्व के लिए ज्ञान का स्रोत रहा है और भारत के ज्ञान का सर्वप्रथम स्रोत हैं हमारे वेद| एक सुसंस्कृत व्यष्टि को समष्टि की नींव मानते हुए एक सुदृढ़ तथा विकसित समाज के निर्माण हेतु शिक्षा की अभूतपूर्व परिकल्पना भारत के ऋषियों, मनीषियों एवं गुरुओं ने ही की थी| इसी चिंतन ने जन्म दिया भारतीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को|
क्या थी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली? कितनी प्रकार की पद्धतियाँ होती थीं इस प्रणाली में? कहाँ से आरम्भ होती थी शिक्षा? क्या शिक्षा केवल विषय-ज्ञान तक सीमित थी या इसका कोई अलौकिक अभिप्राय भी था? जानिए श्री मेहुल आचार्य के व्याख्यान में|
श्री मेहुल आचार्य जी हमें बताते हैं की मानव व्यक्तित्व के संतुलित व बहुमुखी विकास के लिए तथा विकसित समाज के लिए शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प है| शिक्षा प्राप्त होने से व्यक्ति परिवर्तित होने लगता है और जब व्यक्ति परिवर्तित होता है तो समाज अपने आप परिवर्तित हो जाता है
The gurukul system of education has been in existence since ancient times.
A gurukula was a type of education system in ancient India with shishya(‘students’ or ‘disciples’) living near or with the guru, in the same house.
The Upanishads mention multiple gurukulam, including that of guru Drona at Gurgaon
In a gurukula, the students living together are considered as equals, irrespective of their social standing.They learn from the guru and help the guru in his everyday life, including carrying out of mundane daily household chores , a guru does not receive or accept any fees from the shishya studying with him as the relationship between a guru and the shishya is considered very sacred.